अंतर्मन में जाने कितना शोर है। कितनी भीड़ है अपूर्ण इच्छाओं की। अंतर्मन में जाने कितना शोर है। कितनी भीड़ है अपूर्ण इच्छाओं की।
एकांकीपन में अक्सर ही धड़कनें मेरा साथ देती हैं । एकांकीपन में अक्सर ही धड़कनें मेरा साथ देती हैं ।
और में अचानक आ काश में उड़ ती, रसातल में पहुंच जाती हूं, कभी कभी, कभी कभी। और में अचानक आ काश में उड़ ती, रसातल में पहुंच जाती हूं, कभी कभी, कभी कभी।
काम हो तो इनका पराया भी अपना होता है ! काम हो तो इनका पराया भी अपना होता है !
अपना हित खुद रखो सुरक्षित अपने नीचे अपनी जमीन बनाये रखो। अपना हित खुद रखो सुरक्षित अपने नीचे अपनी जमीन बनाये रखो।
मगर कभी जान ना सका मेरी मोहब्बत क्या है। मगर कभी जान ना सका मेरी मोहब्बत क्या है।